हमारी धरा पर शांतिदूत: गुरुदेव नोखागांव से विहार कर भामटसर पहुंचे, आज रासीसर में पर्दापण करेगी धवल सेना, ध्यान भी मन की एकाग्रता व निर्मलता का एक उपक्रम है- आचार्य महाश्रमण

नोखा टाइम्स न्यूज, नोखा।। परमार्थ को अपना जीवन समर्पित कर गांव–गांव, शहर–शहर में जाकर अहिंसा, सद्भावना का संदेश देने वाले जैन श्वेतांबर तेरापंथ के 11 वें पट्टधर आचार्य महाश्रमण वर्तमान में धोरों की धरती राजस्थान के बीकानेर जिले में सानंद विचरण कर रहे है। मंगलवार को आचार्यश्री नोखा गांव से लगभग 11 किमी विहार कर भामटसर पहुंचे। इससे पहले नोखागांव के स्थानीय जैन समाज ने शांतिदूत का भावभीना स्वागत किया। प्रातः समता भवन में आचार्यश्री ने मंगलपाठ रखे। । तत्पश्चात मार्ग में अपना घर आश्रम पर शांतिदूत का पदार्पण हुआ। संस्था से जुड़ी किरण झंवर आदि ने संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। आचार्यश्री ने आश्रम में स्थित 250 से अधिक रुग्ण, अक्षम, मंदबुद्धि जनों को पथदर्शन एवं आशीर्वाद प्रदान किया। वहां से लगभग कुल 11 किमी विहार कर भामटसर के महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में प्रवास हेतु आचार्यश्री पहुंचे। प्रवचन देते हुए शांतिदूत आचार्य महाश्रमण ने कहा– जो साधक आत्म शुद्धि के लिए स्वाध्याय व सध्यान में रत रहता है व तप में अपने आपको भावित कर लेता है वह निर्मल बन जाता है। धर्म पठन, धर्म श्रवण, धर्म कथा जैसे स्वाध्याय के कई प्रकार है। मुख्य बात है मन को कैसे निर्मल बनाया जाए। ध्यान भी मन की एकाग्रता व निर्मलता का एक उपक्रम है। ध्यान के चार प्रकार है। आर्त ध्यान, रौद्र ध्यान, धर्म ध्यान व शुक्ल ध्यान। आर्त और रौद्र दोनों अशुभ व त्याज्य ध्यान होते है तथा धर्म व शुक्ल शुभ ध्यान होते है। गुरुदेव ने आगे कहा की कई बार ऐसा भी होता है – ध्यान, साधना व सामायिक में बैठते ही विचारों का प्रवाह तेज हो जाता है। तो इसका मतलब यह नहीं कि हम उन्हें छोड़ दें बल्कि सोचें कि ये विचार मेरे नहीं हैं  उनका प्रतिकार करें, उन्हें नियन्त्रित व जप में अपने मन को केन्द्रित कर लें। शरीर में मस्तक का व वृक्ष में मूल का जो स्थान होता है वही आध्यात्म में ध्यान का स्थान होता है। कायोत्सर्ग से शरीर का शिथिलीकरण व मन की चंचलता का निवारण ध्यान के प्रमुख अंग हैं। भावों में निर्मलता बनी रहे ऐसा प्रयास रहना चाहिए। नोखागांव में साधुमार्गी संघ के गंगाराम लूणावत, महिला मंडल की सोनू बोथरा, सुरेश, नरेश व जितेन्द्र बोथरा, जितेन्द्र सुराणा, अमित सुराणा युवकें द्वारा अभिनंदन गीत का संगान किया गया। इन्द्रचंद बैद ने कहा कि जब भी आगमन हो, नोखागांव अवश्य समय देवें। छतीश ही कोम हर्षित पुलकित रहे। कार्यक्रम में बीकानेर ज्ञानशाला के नन्हे ज्ञानार्थियों ने सुंदर प्रस्तुति दी। बुधवार युगप्रधान आचार्य महाश्रमण का रासीसर में पदार्पण होगा।

नोखागांव से भामटसर की ओर विहार करते हुए आचार्य महाश्रमण

चातुर्मास के लिए नोखावासी याद दिलाते रहे- आचार्य महाश्रमण:- नोखा तेरापंथ सभा की संगोष्ठी का आयोजन मंगलवार को हुआ। इस अवसर पर आचार्य महाश्रमण ने कहा कि चातुर्मास के लिए नोखावासी याद दिलाते रहे। नोखा अच्छा क्षेत्र है।  साध्वी राजीमती यहां विराजित है। सभी संगठित, मर्यादित, अनुशासित रहकर कार्य करें। सब अच्छे से कार्य करते रहे। मंगल आशीर्वाद मंगल पाठय सुनाया। सभा अध्यक्ष निर्मल भूरा, मंत्री लाभचंद छाजेड़, उपाध्यक्ष इन्द्रचंद बैद, उपासक अनुराग बैद ने विचार रखते हुए कहा कि आचार्य महाश्रमण के पदार्पण से नोखा में धार्मिक जागृति आई है। लोगों में उत्साह है जब भी मौका हो, नोखा आप भी अपना चातुर्मास कराने की कृपा करें। दो दिन का प्रवास अत्यंत ही लाभकारी कल्याणकारी रहा। कोलकत्ता, मुम्बई, सिलीगुड़ी, चैन्नई, दिल्ली से प्रवासी उपस्थित रहे। युवक परिषद, कन्या मंडल, महिला मंडल, किशोर मंडल की सेवा अद्भूत रही।

नोखा के अपनाघर आश्रम में सबोधित करते हुए आचार्य महाश्रमण

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