नोखा में तेरापंथ प्रणेता का भव्य स्वागत; अनेक जनप्रतिनिधियों सहित विभिन्न संगठनों ने किया शांतिदूत का अभिनंदन, शरीर में सक्षमता रहते करें धर्माराधना: महाश्रमण
नोखा टाइम्स न्यूज, नोखा।। अपनी अहिंसा यात्रा द्वारा तीन देशों सहित भारत के 20 राज्यों में 18000 किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा करने वाले युगप्रधान आचार्य महाश्रमण का शनिवार को धर्मनगरी नोखा में भव्य पदार्पण हुआ। लगभग आठ वर्षों पश्चात अपने आराध्य के नगर पदार्पण पर श्रद्धालुओं का उत्साह उमंग देखते ही बन रहा था। प्रातः गुरूदेव ने जब सालूंडिया से विहार किया तभी से नोखावासी श्रावक समाज बड़ी संख्या में शांतिदूत की आगवानी में पहुंच गया। जैसे-जैसे आचार्यश्री के कदम नोखा की ओर बढ़ते जा रहे है श्रद्धालुओं का उल्लास भी वातावरण में जयघोषों से गुंजायमान हो रहा था। विशाल जुलूस में जैन–अजैन हर वर्ग के श्रद्धालु मानवता के मसीहा आचार्य महाश्रमण का स्वागत कर रहे थे। सन् 2014 में नववर्ष का वृहद मंगलपाठ गुरूदेव ने नोखा में किया था उसके बाद अभी फिर आचार्यश्री आज यहां आगमन हुआ है। प्रवेश का दृश्य देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानों नोखा आज महाश्रमणमय बन गया हो। हर ओर उमड़ती श्रद्धालुओं की भीड़ आचार्यश्री के एक दर्शन पाने को लालायित नजर आ रही थी। लगभग 10 किमी विहार कर आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ नोखा मंडी स्थित तेरापंथ भवन में दो दिवसीय प्रवास हेतु आए। जुलूस में विधायक बिहारीलाल बिश्नोई, नोखा नगरपालिका अध्यक्ष नारायण झंवर सहित अनेकों जनप्रतिनिधि युगप्रधान का स्वागत कर रहे थे। इस दौरान पूर्व विधायक एवं राजस्थान स्टेट एग्रो इंडस्ट्री डवलपमेंट बोर्ड अध्यक्ष रामेश्वरलाल डूडी भी स्वागत में उपस्थित हुए। माहेश्वरी भवन के आगे माहेश्वरी समाज ने भी आचार्य महाश्रमण का अभिनंदन किया। इस अवसर पर नोखा सीओ भवानीसिंह व थानाधिकारी ईश्वरप्रसाद जांगिड़ ने व्यवस्था संभाली।
प्रवचन सभा में प्रेरणा देते हुए आचार्य श्री ने कहा- हमारा जीवन शरीर व आत्मा इन दो तत्वों का योग है। इनमे यदि एक का भी अभाव हो तो जीवन नहीं होता। आत्मा के साथ शरीर का संयुक्त योग होना जीवन होता है। इस शरीर को हम नौका मानले तो जीव इसका नाविक है। इस शरीर रूपी नौका से भवसागर को तरने का प्रयास करना चाहिए। ये मनुष्य भव ही है जिससे हम जन्म–मरण के चक्र से मुक्त हो सके है। इस नौका में पापों के छिद्र न लग जाए, संवर, निर्जरा के द्वारा इसे निश्छिद्र रखा जा सकता है। इस लिए यह शरीर जब तक सक्षम है, बुढ़ापा, व्याधि हावी नहीं हो रही है व्यक्ति को धर्म, आराधना में अपनी शक्ति का नियोजन करना चाहिए। शांतिदूत ने आगे कहा कि हम आचार्यश्री तुलसी को देखे उन्होंने उम्र के एक पड़ाव पर भी कितनी सुदीर्घ यात्रा की, आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने भी कितनी यात्राएं की। दोनों गुरूदेव का यहां नोखा भी अनेकों बार आगमन हुआ। इस बार पुनः मेरा यहां आना हुआ है। यहां साध्वी राजीमती आदि कई वयोवृद्ध साध्वियों से भी मिलना हो गया। राजीमती जी कई वर्षों से यहां है, हमारे धर्मसंघ की एक ख्यातनामा साध्वी है। नोखा की जनता में खूब धार्मिक चेतना बढ़ती रहे और सभी अपने जीवन में नैतिक मूल्यों को बढ़ाते रहे, मंगलकामना।
जन्मदिन पर मिला गुरू द्वारा रक्षाकवच का उपहार:-कार्यक्रम में ’शासन गौरव’ साध्वी राजीमती ने आपने भावोद्गार व्यक्त कर साध्वियों द्वारा धागों से हस्तनिर्मित माला रक्षा कवच के प्रतीकात्मक रूप में गुरु चरणों में उपहृत की। जिसे गुरूदेव ने स्वयं धारण कराया एवं उसे फिर मुख्यमुनि को पहना दिया। ज्ञातव्य है की आज मुख्यमुनि महावीर का 34 वां जन्मदिन भी है। गुरूदेव ने कहा की हमारी देव, गुरु, धर्म रक्षा करते रहे। हमारे पूरे संघ की रक्षा हो, माला मेने तो धारण कर ही ली अब संघ के प्रतीक के रूप में मैं इसे मुख्यमुनि को पहनाता हूं। सभा में उपस्थित श्रावक-श्राविकाएं गुरु-शिष्य के इस स्नेह दृश्य को देख धन्यता की अनुभूति कर रहे थे।
केबिनेट मंत्री रामेश्वर डूडी ने कहा कि हिन्दुस्तान में जैन धर्म अहिंसा का प्रतीक है। आज 36 कोम जैन धर्म के आदर्शो को मानता है। जैन धर्म ने जो रास्ता दिखाया है वो पूरी दूनिया ने धारण किया है। हम सब को मानव धर्म निभाना चाहिए। सुख दुख में काम आना ही मानव धर्म है। उन्होने कहा कि राजनीति भी एक सेवा है। आज राजनीति साफ सुथरी नहीं रही है। आज की राजनीति को अच्छी सोच की जरूरत है। देश का भविष्य नई पीढी है। नई पीढी नशे से लिप्त होगी तो देश का क्या हाल होगा। देश की नई पीढी नशा मुक्त होना चाहिए। पूर्व संसदीय सचिव कन्हैयालाल झँवर ने कहा कि आचार्य महाश्रमण जी ने नैतिका की मूर्ति घर में लगाने का आह्वान किया था, आज हम सब उसी नैतिकता पर चल रहे है। झंवर ने सभी समाजों की ओर से नोखा में चातुर्मास करने का निवेदन किया। नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ कहा करते थे कि आचार्य महाप्रज्ञ को देखना है तो आचार्य तुलसी में देखों व आचार्य तुलसी को देखना हो तो आचार्य महाप्रज्ञ में देखो। एक तस्वीर का जिक्र करते हुए बताया कि आचार्य तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ दोनों को देखना है तो युगप्रधान आचार्य महाश्रमण में देखों। पालिका अध्यक्ष नारायण झँवर ने कहा कि पालिका अध्यक्ष ने नोखा की तरफ से अभिनंदन पत्र भेंट कर अभिनंदन किया व बताया कि आचार्य महाश्रमण ने 53000 किमी पैदल चलकर भारत ही अपितू अन्य देशों में भी अहिंसा, सदभावना व नशा मुक्ति का संदेश देकर जनजन को जागरूक किया है।
तेरापंथ सभा के अध्यक्ष निर्मल भूरा ने कहा कि आचार्य महाश्रमण के विचारो में गहराई है, आचार में ऊँचाई है इस प्रकार का संगम किसी गुरु में होता है तो उसका श्रावक व भक्त भाग्यशाली होता है। उन्होने कहा कि 1998 का मर्यादा महोत्सव हो या 2014 के नववर्ष का मंगलपाठ दोनों कार्यक्रम इस स्थान पर गौरवमय हुए थे। वहीं पावन स्मृतियां आज पुन: याद दिलाती है। हमारे तेरापंथ समाज व पूरे नोखा की विनती है आप नोखा में चातुर्मास करने की घोषण करें। साध्वी प्रमुखा विश्रुतप्रभा, अणुव्रत समिति से जयश्री भूरा आदि ने अपने विचार रखे। तेरापंथ युवक परिषद, किशोर मंडल, महिला मंडल, कन्या मंडल ने सामूहिक गीतिकाओं का संगान किया। इस अवसर पर जिला प्रमुख मोडाराम, डॉ सीताराम पंचारिया, समाजसेवी सुभाष भूरा, भंवरलाल बैद, भोजराज बैद, मांगीलाल संचेती, सुभाष सेठिया, कमलकिशोर ललवाणी, शासनसेवी डॉ प्रेमसुख मरोठी, नथमल संचालेचा, हंसराज भूरा, रूपचंद बैद, गोपाल लूणावत, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष आनंद भूरा, विनोद घीया आदि उपस्थित रहे।