हमारी धरा पर शांतिदूत: तेरापंथ महिला मंडल व कन्या मंडल की बहनों ने 11 भाषाओं में गीत संगान किया, सदविचार और सदाचार युक्त हो जीवन, सादा जीवन उच्च विचार मानव जीवन का असली श्रृंगार: आचार्य महाश्रमण
नोखा टाइम्स न्यूज, नोखा।। आदमी के जीवन में ईमानदारी, प्रमाणिकता, ट्रांसपेरेंसी का बड़ा महत्व होता है वैसे ही आध्यात्म के क्षेत्र सम्यक्त्व का बड़ा महत्व है। सम्यक्त्व अर्थात सही ज्ञान। सम्यक्त्व ऐसा मित्र है, जिससे बड़ा कोई मित्र नहीं, सम्यक्त्व से कीमती कोई रत्न नहीं व सम्यक्त्व से बड़ा कोई लाभ नहीं। संसार के रत्न, मित्र तो सिर्फ संसार तक सीमित होते है जबकि एक बार सम्यक्त्व आजाए तो आगे के जन्मों में भी वह साथ निभाता है। सम्यक्त्व अगर न हो तो चारित्र नहीं आसकता। सम्यक्त्व हमारा आत्म-कल्याण कराने वाला रत्न है। उपरोक्त उद्गार अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य महाश्रमण ने रविवार को नोखा के महावीर चौक में धर्मसभा में व्यक्त किए। नोखा प्रवास के दूसरे दिन आचार्यश्री के दर्शनार्थ एवं सेवा हेतु सिर्फ स्थानीय ही नहीं अपितु आसपास के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आवागमन रहा। क्षेत्रीय कई राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक प्रतिनिधि भी शांतिदूत की शरण में आशीर्वाद लेने उपस्थित हुए। केंद्रीय संस्कृति एवं संसदीय कार्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी आचार्यश्री के दर्शन कर कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा एवं साध्वीवर्या संबुद्धयशा ने उद्बोधन प्रदान किया। एक कथानक के माध्यम से प्रेरणा देते हुए शांतिदूत ने आगे कहा की सम्यक्त्व को पुष्ट रखने के लिए श्रद्धा का होना जरूरी हैं कि जो जिनेश्वर भगवान ने कहा है वही सत्य है। सच्चाई के प्रति समर्पण, श्रद्धा होनी चाहिए। जीवन में सच्ची व अच्छी बात कहीं से भी मिले, ग्रहण कर लेनी चाहिए। साथ ही तत्वों का बोध भी आवश्यक है और कषाय मंदता भी सम्यक्त्व की पुष्टि के लिए जरूरी है। जीवन में सद् विचार एवं सदाचार रहे तो जीवन अच्छा बन सकता है। सादा जीवन उच्च विचार मानव जीवन का श्रृंगार। केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा पेड़, सरोवर और मेघ की भांति संतगण भी परोपकार के लिए जीवन समर्पित कर देते है। आचार्य महाश्रमण जी भी परोपकार करते हुए यहां नोखा आये है। गुरूदेव के वचनों से मैं अभिभूत हूं। नोखा से आपने जो आव्हान किया है वो बहुत दूर तक जाएगा। मैं स्वयं भी अणुव्रती हूं, आपकी शिक्षाएं लोगों के जीवन में भी उतरेंगी और यहां की चातुर्मास की मांग पर भी आज कभी न कभी विचार कराएंगे और क्षेत्र पर अपनी कृपा करेंगे। आराध्य के नगर आगमन के संदर्भ में नोखा क्षेत्र से जुड़ी चारित्रआत्माओं ने भी अपने भावों की प्रस्तुति दी। मुनि जितेंद्र कुमार, मुनि मनन कुमार, मुनि नय कुमार, ‘शासन गौरव’ साध्वी राजीमती, ’शासन साध्वी समताश्री, साध्वी कुसुमप्रभा, साध्वी प्रभातप्रभा, साध्वी सिद्धांतप्रभा ने भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया। महासभा पंचमंडल सदस्य भंवरलाल बैद, कमलकिशोर ललवानी, भोजराज बैद, इंदरचंद बैद, डॉ प्रेमसुख मराठी, लाभचंद छाजेड़, महावीर नाहटा, साधुमार्गी संघ से ईश्वरचंद बैद, महेंद्र संचेती, पुनीत बैद, तेमम अध्यक्ष श्रीमती मंजू बैद ने अपने विचार रखे। मरोठी परिवार की महिलाओं, पूर्व कन्या मंडल सदस्याओं एवं ज्ञानशाला के बच्चों ने पृथक–पृथक रूप में गीत एवं परिसंवाद द्वारा प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल एवं कन्या मंडल की बहनों ने 11 भाषाओं में स्वागतमय प्रस्तुति दी। इस अवसर पर शासनसेवी डॉ प्रेमसुख मरोठी की पुस्तिका देहरी दीपक का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में जयपुर अपर जिला एवं सेशन न्यायधीश प्रेमरतन ओझा, पूर्व संसदीय सचिव कन्हैयालाल झँवर, गुमानसिंह राजपुरोहित, नारायण चोपड़ा, नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई, पूर्व प्रधान कन्हैयालाल जाट, माणक राठी, आसकरण भट्टड़, जेठूसिंह राजपुरोहित, देवकिशन चांडक आदि उपस्थित रहे। ज्ञानशाला प्रभारी महावीर नाहटा के नेतृत्व में ज्ञानशाला के बच्चों ने मंगलाचरण कर किया व प्रस्तुतियां दी।
ये रहे लगे रहे व्यवस्था में:- नोखा में व्यवस्था में तेरापंथ सभा, युवक परिषद, महिला मंडल, कन्या मंडल, किशोर मंडल, सभी संस्था के सदस्य दिनरात सेवा कार्य में सलग्न रहे। टेंट व्यवस्था में शिवजी भूरा के नेतृत्व में महावीर नाहटा व रूपचंद बैद मुस्तैदी से लगे रहे। सभा अध्यक्ष निर्मल भूरा, मंत्री लाभचंद छाजेड़, इन्द्रचंद बैद, अजीत भूरा, इन्द्रचंद पींचा, दिलीप बैद, सुनील, अनुराग बैद, मनोज घीया, गोपाल लूणावत, सुरेश, प्रेम छाजेड़, महेन्द्र सेठिया, अरूण, अशोक भूरा, महावीर मालू, कार्तिक नाहटा, कैलाश सेठिया, दीपक मरोठी सैंकड़ो कार्यकर्ता सेवाभाव उत्साह से लगे रहे। सभा अध्यक्ष निर्मल भूरा ने आभार व्यक्त किया।
प्रवासी भी रहे उपस्थित:- भंवरलाल बैद, सुभाष भूरा, सुभाष सेठिया, कमलकिशोर नवलखा, विजयकुमार बांठिया, कमलकिशोर ललवाणी, नरेश समदड़िया, भंवरलाल मरोठी, निर्मल भूरा, झंवरलाल मरोठी आदि प्रवासी सक्रिय भूमिका में उपस्थित रहे।