धर्म कट्टरता नहीं सिखाता- आचार्य विजयराज
नोखा टाइम्स न्यूज, नोखा।। आते है जग में महापुरुष, एक नया जमाना लाने को, भूली भटकी जनता को सत्य मार्ग दिखलाने को। आचार्य श्री नानेश अपने युग के ऐसे ही महापुरुष थे जिन्होंने समता दर्शन, समीक्षण ध्यान, धर्मपाल प्रतिबोध देकर कांतिकारी युग का सृजन किया था। उनका मर्यादा पालन, अनुशासन शक्ति और मानवीय उत्थान की भावना बेजोड़ थी। शिक्षा, दीक्षा और चारित्र निर्माण में उन्होंने अद्वितीय पुरुषार्थ किया था जिसे आज भी याद किया जाता है! ये विचार नोखा गांव के समता भवन में आयोजित धर्म सभा में आचार्य विजयराज महाराज ने मंगलवार को रखे। आचार्य श्री ने कहा पूज्यवर नानालालजी म. समता के पर्याय थे। उन्होंने कभी धार्मिक कट्टरता की बात नहीं कही वे धार्मिक दृढता में विश्वास रखते थे धर्म की आड़ में अपने स्वार्थ के पोषण कभी उन्होंने धर्म नही माना। समता, समरसता, सहिष्णुता में विश्वास रखने वाले आचार्य श्री नानालालजी म. जितने जैनों के पूज्य थे उतने ही अजैनों में प्रिय थे। वे सभी धर्मों के धर्म गुरुओं का आदर करते थे। यही कारण है उनकी धर्म सभा में अजैन बंधु भी शिरकत करते थे। उन्होंने कहा कि विषमता के विरुद्ध समता दर्शन की व्याख्या करने उन्होंने पारिवारिक समाजिक और आर्थिक विषमता की खाई को पाटने का कार्य किया, तनाव मुक्ति के लिए उन्होंने समीक्षण ध्यान व मनोविज्ञान का सूत्रपात किया, धर्म पाल समाज संरचना करने उन्होंने दलित, शोषित मानवों को मनुजता का पाठ पढ़ाया, हजारों व्यसन लिप्त मानवों को व्यसन मुक्ति का सन्देश दिया। उन्होंने कहा कि आचार्य नादेश का चतुर्विध संघ पर अनंत उपकार रहा है उन्होंने हमें ज्ञान, दर्शन, चारित्र, प्रतिभा, प्रज्ञा, प्रतिष्ठा व पहचान दी। उनके देवलोक हो जाने के बाद भी आज भी वो हमारी स्मृत्तियों में बसे हुए हैं। उनके गुणों, स्मरण और गुणानु राग के भावों के साथ ने हमारी श्रद्धा के आधार व आलोक बने रहेंगे। विशाल धर्म सभा को संत विनोद मुनि ने भी सम्बोधित किया। मीनाक्षी डागा ने अपने श्रद्धा सुमन समर्पित किये। युवा राहुल लूणावत ने सभी का सत्कार-सम्मान किया एक दिन नोखा गांव में विराज कर बुधवार सुबह शंकरसिंह बालेचा की ढाणी पहुंचने का अवसर है। बछराज लूणावत ने बताया कि धर्म सभा में रायपुर, बीकानेर, गंगा शहर नागौर आदि क्षेत्र से आए हुए सभी ने अपने अपने क्षेत्र के लिए भावना रखी।