देशनोक करणी माता मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड हुआ: 500 कार्यकर्ताओं ने 16 हजार किलो बादाम हलवे का प्रसाद बनाया; आज सुबह भोग लगाया गया

देशनोक करणी माता मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड हुआ: 500 कार्यकर्ताओं ने 16 हजार किलो बादाम हलवे का प्रसाद बनाया; आज सुबह भोग लगाया गया

नोखा टाइम्स न्यूज़,नोखा।। बीकानेर के देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर में 16 हजार किलो प्रसाद का भोग लगाया गया। ये दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा प्रसाद चढ़ावा माना गया है। इसे ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ से सर्टिफिकेट भी दिया गया।

500 कार्यकर्ताओ के द्वारा बनाया गया बादाम हलवा

500 कार्यकर्ताओं ने 48 घंटे लगातार सेवा की इस विशेष प्रसाद को बनाने के लिए 500 से अधिक कार्यकर्ता 30 मार्च से जुटे हुए थे। मंदिर परिसर में 25 गैस भट्टियां लगाई गई। इस हलवे को बनाने के लिए 6,600 किलो बादाम और शुद्ध घी का उपयोग किया गया। इसके अलावा कश्मीरी केसर, पंजाब के मिल से लाई गई चीनी, इलायची और पिस्ता भी डाले गए।

गुरुवार सुबह 9:15 बजे मां करणी को महाप्रसाद का भोग लगाया गया। इसके बाद करीब 1 लाख लोगों में वितरित किया गया।

16 हजार किलो प्रसाद बनाने के लिए करणा माता मंदिर ट्रस्ट को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स सर्टिफिकेट मिला।

ऐसे बना महाप्रसादी का वर्ल्ड रिकॉर्ड

मंदिर ट्रस्ट की ओर से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के लिए आवेदन किया गया था। इस पर बुधवार शाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के आधिकारिक प्रतिनिधि ऋषि नाथ और कैंसल्टन निश्चल बारोट ने मंदिर का दौरा किया।

उन्होंने प्रसाद बनाने के प्रोसेस और अन्य सभी मानकों की जांच की। इसके बाद इस प्रसाद को वर्ल्ड रिकॉर्ड घोषित किया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अधिकारियों ने समाजसेवी हरप्यारी देवी कुलरिया और ट्रस्ट के अध्यक्ष बादल सिंह को प्रदान दिया गया।

चूहों वाली माता के नाम से जानी जाती हैं

बीकानेर शहर से 30-35 किलोमीटर दूर करणी माता का मंदिर है। इस मंदिर को चूहे वाले मंदिर के नाम से लोग जानते हैं। करणी माता के मंदिर में करीब 25 हजार चूहे हैं, जिन्हें काबा कहा जाता है। ये काबा माता की संतान माना जाते हैं। यहां पर काले चूहों साथ कुछ सफेद चूहे भी है, जिन्हें ज्यादा पवित्र माना जाता है।

बताया जाता है कि 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने इस मंदिर को बनवाने का काम शुरू किया था। मंदिर की पूरी संरचना संगमरमर से बनी है और इसकी वास्तुकला मुगल शैली से मिलती-जुलती है। मंदिर के अंदर गर्भगृह में करणी माता विराजमान हैं।

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