रामकथा के श्रवण से मन के राग, द्वेष, ईर्ष्या, और भेदभाव स्वतः समाप्त हो जाते हैं।– आरती रांकावत
नोखा टाइम्स न्यूज, नोखा।। रामकथा के श्रवण से मन के राग, द्वेष, ईर्ष्या, और भेदभाव स्वतः समाप्त हो जाते हैं। ये विचार विश्वकर्मा मंदिर के पास सुथारों की स्कूल नोखा स्थित चल रही संगीतमय श्रीराम कथा में बुधवार को कथावाचिका आरती रांकावत ने रखें। उन्होने कहा कि रामकथा मन को शांत कर हिंसक भावनाओं का रोकती है। राम नाम की महिमा बतलाते हुए कहा कि राम का नाम अनमोल है, यदि पापी भी राम का नाम लेता है तो उसे सदगति मिल जाती है। जिसके ह्दय में प्रभु के प्रति भाव जागते हैं, जिस पर हरि कृपा होती है। वह मनुष्य ही प्रभु की कथा में शामिल होता है। श्रीराम कथा का मनोयोग से श्रवण कर उसके उपदेश को जीवन में उतारें। तभी कथा की सार्थकता है। मन व ध्यान की एकाग्रता से हर कार्य में सफलता मिलती है। भगवान का आगमन सदैव धर्म की रक्षा के लिए हुआ है। रामायण हमें समाज के संस्कार, अच्छे-बुरे की पहचान सिखाती है। सच्ची भक्ति से ही भगवान की प्राप्ति की जा सकती है। कथावाचिका ने अशोक वाटिका को उजाड़ना, लंका को जलाना, हनुमान जी द्वारा सीता की खोज करना, नल नीर द्वारा सेतू बनाना, रावण का वध करना, भगवन राम का अयोध्या लौटना, रामजी का राज तिलक आदि प्रसंगों को सुनाया। कथा के दौरान सजीव झांकी सजाई गई। इस अवसर पर लालचंद साध, कन्हैयालाल, हंसराज, कैलाश, निर्मल, राजू मालपानी, हड़मान, सतश, किशन कुम्हार, पवन तिवाड़ी, उमाशंकर, गोविंद सारस्वत, मदन गहलोत, राजेश, ओमप्रकाश नाई आदि का कथा के समापन पर सम्मानित किया गया। कथा समापन पर श्याम प्रेमी, भक्तों द्वारा श्याम कीर्तन का आयोजन किया गया।