145 गांवों के डिजिटल नक़्शे होंगे तैयार: खेत की स्थिति व जानकारी दूरदराज बैठे ही गूगल से मिल सकेगी, नोखा में हो रहा डिजीटल भूमि अभिलेख सर्वे

नोखा टाइम्स न्यूज़, नोखा।। राज्य सरकार द्वारा राजस्थान के डीआईएलआरएमपी योजनांतर्गत सर्वे रिसर्च का कार्य नोखा के 20 स्थानों पर किया जा रहा है। नोखा के एसडीएम कार्यालय के पास में ग्राउंड कंट्रोल पॉइंट स्थापित कर चालू किया जा रहा है। नोखा तहसील कार्यालय के ऑफिस कानूनगो रामेश्वर पूनिया ने बताया कि सरकार ने बीकानेर जिले में सर्वे रिसर्च कार्य किए जाने की अधिसूचना 20 अक्टूबर 2021 को जारी की गई थी।

इस सर्वे रिसर्च कार्य के अंतर्गत जिले के समस्त राजस्व ग्रामों का आधुनिक उपग्रह छाया चित्रों एवं सर्वेक्षण उपकरणों ( डीजीपीएस) के माध्यम से संरक्षण का कार्य कर डिजिटल भू-अभिलेख तैयार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि नोखा तहसील में सब आईकॉनिक पॉइंट बनाया गया है। वहीं तहसील के 20 गांवों को चिह्नित किए गए है। वहीं 224 स्थानों पर प्रत्येक चार किलोमीटर पर सैकेंडरी प्राइमरी प्वाइंट व करीब 800 टर्सरी पॉइंट बनाए जाएंगे।

टर्सरी पॉइंट प्रत्येक 2 किलोमीटर पर बनाए जाएंगे, बीकानेर जिले में कुल 18000 पॉइंट बनेंगे। तहसील में इस सर्वे का कार्य निजी कंपनी के प्रतिनिधि मुकेश कुमार चौधरी के नेतृत्व में किया जा रहा है। यह हो जाने पर किसान को अब पटवारी के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। वह अपने खेत की स्थिति व जानकारी दूरदराज बैठे ही गूगल के द्वारा प्राप्त कर सकेगा। इस तकनीक के स्थापित होने पर गूगल द्वारा सैटेलाइट के जरिए किसानों को घर बैठे ही जानकारी उपलब्ध करवा देगा।

रामेश्वर पूनिया ने बताया कि 145 गांवों में डिजीटल नक्शे तैयार किए जाएंगे। डिजिटल नक्शे तैयार होने से जमीन कब्जे मुक्त हो सकेगी। पटवारियों को जमीनों के कार्यों में आसानी होगी। वहीं किसानों को भूमि का सीमांकन ऑनलाइन मिल सकेगा।

इन 20 गांवों पर बनेगा प्राइमरी प्वाइंट
बादनू, गजरूपदेसर, लालमदेसर बड़ा, जयसिंहदेसर, जांगलू, भामटसर, सिंधु, सिनियाला, रातड़िया, उदासर, नोखा गांव, धूंपालिया, मैनसर, दूदावास, पांचू, कक्कू, दावा, सारुंडा व स्वरूपसर आदि गांवों को चिह्नित किया गया है।

रियल-टाइम भूमि स्वामित्व रिकॉर्ड मिल सकेंगे

इससे नागरिक को रियल-टाइम भूमि स्वामित्व रिकॉर्ड उपलब्ध होंगे। रिकॉर्ड तक मुफ्त पहुंच नागरिक और सरकारी अधिकारियों के बीच इंटरफेस को कम करेगी, जिससे भ्रष्टाचार और उत्पीड़न में कमी आएगी।

सार्वजनिक-निजी भागीदारी
बेहतर तरीके से सेवा वितरण सुनिश्चित करते हुए यह सरकारी तंत्र के साथ नागरिक इंटरफेस को और कम करेगा। सिंगल-विंडो सेवा या वेब-सक्षम ‘एनीटाइम-एनीवेयर’ सुविधा नागरिक को आरओआरएस (रिकॉर्ड ऑफ राइट्स) आदि को समय पर प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। स्वचालित होने के कारण इससे धोखाधड़ी वाले संपत्ति सौदों के दायरे में काफी कमी आएगी। निर्णायक भूमि स्वामित्व से मुकदमेबाज़ी में भी काफी कमी आएगी।

कंप्यूटर के माध्यम से नागरिक को भूमि डेटा (जैसे- अधिवास, जाति, आय आदि) के आधार पर प्रमाण पत्र उपलब्ध होंगे। यह पद्धति क्रेडिट सुविधाओं के लिये ई-लिंकेज की अनुमति देगी।सरकारी कार्यक्रमों के लिये पात्रता की जानकारी आँकड़ों के आधार पर उपलब्ध होगी। इसके अलावा यह मौजूदा मैनुअल पंजीकरण प्रणाली से बिक्री खरीद और भूमि के हस्तांतरण में सभी लेनदेन के ऑनलाईन पंजीकरण की ओर एक बड़ा बदलाव है। यह राष्ट्रीय एकता की दिशा में एक बड़ा कदम है और ‘वन नेशन वन सॉफ्टवेयर’ को भी बढ़ावा देगा।

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