पदम स्मारक, डिजिटल लाईब्रेरी और संग्रहालय का लोकार्पण: गौसेवी संत कुलरिया की स्मृति में हुआ निर्माण, राज्यपाल ने कहा – यह नई पीढ़ी के लिए उपहार

पदम स्मारक, डिजिटल लाईब्रेरी और संग्रहालय का लोकार्पण: गौसेवी संत कुलरिया की स्मृति में हुआ निर्माण, राज्यपाल ने कहा – यह नई पीढ़ी के लिए उपहार

नोखा टाइम्स न्यूज, नोखा।। समाज सेवा के लिए राजस्थान सरकार द्वारा सम्मानित, धर्मानुरागी, समाजसेवी, विश्वकर्मा रत्न, ब्रह्मलीन गौसेवी संत श्री पदमाराम जी कुलरिया की पुण्यस्मृति में नोखा के मूलवास-सीलवा गांव में स्थित पदम पैलेस में उनके बेटों कानाराम-शंकर-धर्म कुलरिया के द्वारा बनाये करोड़ों रुपए की लागत से बहुउपयोगी पदम स्मारक का लोकार्पण सोमवार को हुआ।

स्मारक परिसर में निर्मित पुस्तकालय, संग्रहालय का लोकार्पण और ब्रह्मलीन गौसेवी संत श्री पदमाराम जी कुलरिया की 11 फीट ऊंची मूर्ति का अनावरण के साथ बालिका विद्यालय का शिलान्यास भी किया गया। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने वर्चुअल भाग लिया। वहीं कार्यक्रम में अतिथि योगऋषि बाबा रामदेव ने कहा कि पदमाराम कुलरिया कुटुम्ब के भाई बहिन करीब एक लाख लोगों को रोजगार दे रहे। ये बहुत बड़ा काम है। जो छोटी से ढाणी से निकलकर इतने आगे बढ चूके है जो पुरुषार्थ का काम है। पुरूषार्थ से ही धर्म, अर्थ आता है व सब कामना पूरी होती है। जीवन में पुरुषार्थ करो। उन्होने कहा कि आज का दिन सिर्फ़ पदम स्मारक के उद्घाटन का दिन नहीं है, जागरण का दिन है। सभी सदा जागरूक रहकर आगे बढना और आप भी ऐसे ही जीवन के पथ पर कीर्तिमान बनाना। जैसे आज संत पदमाराम जी कुलरिया के जाने के बाद भी उनकी गौरवगाथा सब साधुसंत महात्मा गा रहे है। पूरा परिवार गोरवान्वित व हर्षित हो रहा है। ऐसे ही जगत में आपका आना व जीना और जाना सब गौरवपूर्ण है। ऐसे ही कुलरिया परिवार फलते फूलते रहे। सभी ऐसे गौरवपूर्ण काम करते हुए अपने जीवन में नवकीर्तिमान व नवइतिहास गढते रहे।आने वाली पीढियां भी आगे उन्हे पढती रहे व उनसे प्रेरणा लेते रहे। पदमाराम जी एक सीधे साधे व एक संत हृदय आत्मा उनके पुण्य से उनका परिवार इतना फलाफूला है। जिसकी खुशबू अब चारों दिशा में देश और दुनिया में फैली है। सब संत पदमाराम कुलरिया की गौरव गाथा गा रहे है। एक व्यक्ति की तपस्या को प्रणाम करने के लिए देश के कोने से साधुसंत आए है। संत गोविंद गिरी महाराज ने कहा कि संतो की मुख से संत श्री पदमााराम जी कुलरिया की कीर्ति सुनकर ऐसा लगा कि आज के प्रसंग में अगर मैं नहीं जाता हूँ तो मेरे जीवन की एक बहुत बड़ी मेरी खोई हुई अवसर बेला रहेगी। उन्होने कहा कि संत पदमाराम जी कुलरिया की गौरव गाथा उनके व उनके परिवार की अनुपस्थित में गौरवगाथा सुनने को मिल रही है। जिससे लगता कि जीवन तो बहुत हुए होगें लेकिन एक धन्य जीवन जी कर एक महात्मा गया है। उन्होने कहा कि अपनी धरती से इतना प्रेम करने वाला व वृक्षारोपण करके अपने जीवन को धन्य करने वाला, गौमाता की सेवा करके हम सभी के लिए एक आदर्श स्थापित करने वाला, कन्याओं के लिए विद्यालय का निर्माण करने वाला, हर व्यक्ति के पास जाकर के उसका दुख व दर्द दुरकरने का प्रयास करने वाला साकार व्यक्तित्व पदमाराम जी थे। ऋषिकेश से आए संत चिदानंद सरस्वती ने कहा कि जीवन ऐसा जीओ जिससे जीवन मशास या मिसाल बन जाए। वहीं आज पदमाराम जी परिवार ने कर दिखाया है। वर्ल्ड क्लास लाईब्रेरी रेगीस्तान के रण में बनाई है एेसी ही स्कूल भी बना रहे है व गौशाला भी बनाई। उन्होने कहा कि आओं लौट चलें। शहरों में कमाओं गांवों लगाओ। कानाराम-शंकर-धर्मचंद कुलरिया ने ये जो स्मारक बनाकर आने वाली पीढियों को एक संदेश दिया है कि जीओ तो ऐसे जीओ। दूसरों के लिए जीवन जीने वाले का जीवन ही रामायण व गीता है।

साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा प्यार, परिवार व एकता की दर्शन करना है तो कुलरिया परिवार को आकर देखें। संत पदमाराम जी प्रेम सबके लिए था। उन्होने पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हुए सेवाकार्य किए। वसुधेव कटुमबकम के आधार पर जीते थे। शिक्षा, चिकित्सा के माध्यम से सेवा कार्य किए। वही उनकी पूजा थी। आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि कमाने के लिए कहीं भी जाए लेकिन अपने मूल को हम नहीं भूले। उद्योगपतियों के लिए कुलरिया परिवार एक उदाहरण है। जिस पर संतों की प्रेरणा हो व आर्शीवाद हो उस परिवार में सुख समृद्धि व प्रभूकृपा की कभी कोई कमी नहीं रह सकती। संत मुरलीधर महाराज, संत बजरंगदास महाराज, संत सुखदेव महाराज, भंवरदास महाराज, सालमनाथ धोरे के फक्कड़नाथ आदि संत अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। संचालन राजकीय उदघोषक ज्योति जोशी, जयकरण चारण ने किया।

ये रहे उपस्थित:- इस अवसर पर राज्य सभासांसद रामचंद्र जांगड़ा, पशुपालन विभाग के मंत्री जोराराम कुमावत, पूर्व विधायक जगदीश जांगीड़, पूर्व राज्य मंत्री पुखराज पाराशर, पूर्व विधायक बिहारीलाल बिश्नोई, दिनेश सांरग, आईजी ओमप्रकाश, एसपी तेजस्विनी गौत्तम, एसडीएम रमेश देव, तहसीलदार नरेन्द्र बापेड़िया, एसएचओ राजीव रॉयल, विशाल जांगिड़, पुखराज उत्तम, नंदकिशोर चोयल, अमराराम चोयल, कैलाश बनेला, खिंवराज रालड़िया, हनुमान गेपाल, अशोक पिड़वा, हनुमान सुथार काकड़ा, श्याम सुथार, तुलसीराम कुलरिया, हनुमान सुथार, प्रदीप माकड़, श्रवणराम धामू, सुखदेव माकड़, हीरलाल माकड़, शिवबिहारी शर्मा, राजबिहारी, कानाराम कुलरिया, ओमप्रकाश धामू, जज रमेश शर्मा, जैलर पारस जांगिड़, तोलाराम, बॉलीवुड़ फिल्म निदेशक रमेश मोदी, अभिनेता राज जांगिड़, बजरंग मोटियार, प्रभुदयाल पारीक, महावीर सुथार, बालकिशन, कुनाल सुथार, खिंवराज, पुखराज पुख्तारी, संजय बुढल, पप्पू सैन उपस्थित रहे। कानाराम-शंकर-धर्मचंद कुलरिया ने आभार व्यक्त किया। लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई।

इन्होने किया स्वागत:- इस अवसर पर उगमाराम, मघाराम, भंवर-नरसी-पुनम, कानाराम-शंकर-धर्मचंद कुलरिया, चिमाराम, सुखदेव, महेन्द्र, हरिश, गणेशाराम, मांगीलाल धामू, मुन्नीलाल माकड़, मांगीलाल धामू, दामोदर सुथार, अशेाक, जय, सुरेश, नरेश, पुखराज, पंकज कुलरिया, जनक आदि ने पुष्पहार, शौल, साफा से स्वागत किया। परमार्थ निकेतन साध्वी भगवती सरस्वती का अभिनंदन हरप्यारी देवी ने किया।

4 किमी में फैला पार्किंग सहित पांडाल पांडाल एरिया:- संत पदमाराम जी कुलरिया के स्मारक लोकार्पण को लेकर बनाई पार्किंग, पांडाल, कोटेट व भोजनशाला सहित पूरा कार्यक्रम स्थल करीब चार किमी में फैला हुआ है। जिसमें सैंकडों की संख्या में सिक्युरिटी व मेनेजमैंट के सैंकड़ों लोगों ने व्यवस्था संभाली। करीब हजारों की संख्या में पहुंचने वाले वाहनों की पार्किंग व्यवस्था की गई। पदम स्मारक के एरिया को रंगीन रोशनी व फूलों से सजाया गया। इस दौरान पदम स्मारक पहुंचने वाली सभी सड़कों की मरम्मत भी करवाई गई।

जयपुर से वर्चुअल जुड़े राज्यपाल:- राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि शिक्षा वही सार्थक है जो लैंगिक विषमताओं को दूर करने वाली हो। उन्होंने कहा कि वही समाज तेजी से विकास की राह पर आगे बढ़ता है, जहां बालिकाओं को शिक्षा के अधिकाधिक अवसर मिलते हैं। उन्होंने सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के इस दौर में उत्कृष्ट पुस्तकों के डिजिटलाइजेशन के लिए वृहद स्तर पर कार्य करने और डिजिटल पुस्तकालयों को जन-जन के लिए उपयोगी किए जाने का भी आह्वान किया है। श्री मिश्र ने सोमवार को ब्रह्मलीन गौसेवी संत श्री पदमाराम जी कुलरिया की पुण्य स्मृति में बीकानेर के नोखा में निर्मित प्रेरणालय ‘पदम स्मारक’, नवनिर्मित डिजिटल लाईब्रेरी, संग्रहालय, प्रतिमा लोकार्पण और बालिका विद्यालय शिलान्यास समारोह में जयपुर से वर्चुअल जुड़ते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अपने लिए तो सभी कुछ करते हैं परन्तु जीवन की सार्थकता इसमें है कि हम समाज के लिए समर्पण भाव रखते हुए कार्य करें। उन्होंने संत कुलरिया की स्मृति में किए जा रहे समाज सेवा प्रकल्पों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हम महिला पुरुष बराबरी की बात तो करते हैं परंतु जब तक महिलाओं को शिक्षित होने के अधिकाधिक अवसर नहीं मिलेंगे वे पुरूषों की बराबरी पर नहीं आ सकेंगी। उन्होंने केन्द्र सरकार के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ को इस दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। श्री मिश्र ने पदम स्मारक के अंतर्गत डिजिटल लाइब्रेरी और संग्रहालय की स्थापना को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि जीवन को गढ़़ने वाली पुस्तकों का डिजिटल रूप यदि डिजिटल लाइब्रेरी में संग्रहित किया जाता है तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा उपहार होगा। उन्होंने कहा कि किताबें कभी नष्ट नहीं होती। किंडल और अन्य रूपों में किताबें फिर से लोकप्रिय हो रही है। उन्होंने बालिका विद्यालय को समय संदर्भों में भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित करते हुए समाज में बालिका शिक्षा के लिए प्रभावी वातावरण निर्माण की भी आवश्यकता जताई। इससे पहले उन्होंने ब्रह्मलीन गौसेवी संत श्री पदमाराम जी कुलरिया की स्मृति में प्रकाशित ग्रंथ का भी वर्चुअल लोकार्पण किया।

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