नोखा में पर्यूषण महापर्व का पांचवा दिवसः अणुव्रत चेतना दिवस के रूप में मनाया, साध्वी ने कहा-कोई भी अणुव्रती बन सकता है
नोखा टाइम्स न्यूज़,नोखा।। नोखा के जोरावरपुरा में पर्यूषण महापर्व का पांचवा दिवस गुरुवार को अणुव्रत चेतना दिवस शासन साध्वी शशि रेखा के सानिध्य में मनाया गया। साध्वी श्रीकांत प्रभा ने उपस्थित धर्म परिवार को अणुव्रत चेतना दिवस के बारे में समझाते हुए कहा कि अणुव्रत शब्द का पूरा श्रेय आचार्य तुलसी को है। यह आचार्य तुलसी की ही देन है।
आचार्य द्वारा चलाया गया यह नैतिकता का दीप अणुव्रत किसी भी जाति का व्यक्ति स्वीकार कर सकता है। कोई भी व्यक्ति अणुव्रती बन सकता है। हर व्यक्ति को अणुव्रत के नियमों को समझ कर अपने जीवन में उतारना चाहिए। अणुव्रत अर्थात छोटे-छोटे व्रत व्यक्ति को अपने जीवन में छोटे-छोटे त्याग करना सिखाते हैं। हमारा जैन धर्म त्याग तप और व्रत चेतना का धर्म है।
भगवान महावीर ने दो प्रकार के धर्म आगार और अणगार बताएं हैं, जो व्यक्ति कठिन साधना कर सकता है, साधु जीवन स्वीकार कर सकता है, वह अणगार धर्म स्वीकार करें। वर्तमान में आचार्य महाश्रमण की इसी अहिंसा यात्रा से न जाने कितने व्यक्ति अणुव्रती बन गए। हमारा यह जैन धर्म विस्तार देने वाला धर्म है। जो व्यक्ति अपने जीवन में अणुव्रत के नियमों को उतारता है, वह सबके लिए आदर्श बन सकता है।
इस प्रकार साध्वी जी ने अणुव्रत के नियमों को सभी को समझने व जीवन में उतारने की प्रेरणा दी। साध्वी रोहितयशा ने जैन धर्म के तीर्थंकरों के बारे में बताते हुए कहा कि हमारे जैन आचार्य ने धर्म की खूब प्रभावना की है। अनेक घटनाओं के माध्यम से आचार्य की सिद्धियों के बारे में बताया। तपस्या पोषध व नमस्कार महामंत्र का अखंड जप भी निरंतर गतिमान है।