नोखा में ब्लॉक समीक्षा बैठक का आयोजनः बीमारियों की रोकथाम, स्वास्थ्य संस्थानों की व्यवस्थाओं पर हुई चर्चा
नोखा टाइम्स न्यूज़,नोखा।। नोखा में बुधवार को राजकीय बाबा छोटूनाथ विद्यालय में जिला प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश जनागल की अध्यक्षता में ब्लॉक स्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें मौसमी बीमारियों की रोकथाम, स्वास्थ्य संस्थानों की व्यवस्थाओं और परिवार कल्याण कार्यक्रमों पर चर्चा की गई। बैठक में मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए गए।
डॉ. जनागल ने सभी कर्मियों और चिकित्सकों को निर्देश दिया कि वे अवकाश पर न जाएं और मुख्यालय न छोड़ें। इसके अलावा, चिकित्सा संस्थानों का नियमित रखरखाव और परिसर की स्वच्छता बनाए रखने के लिए भी सख्त निर्देश दिए। उन्होंने लार्वा एक्टिविटी और मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए पूर्व तैयारी पर जोर दिया। साथ ही, सभी संस्थानों की हेचरी पर गम्बूसिया मछली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए।
बीसीएमओ डॉ. कैलाश गहलोत ने मौसमी बीमारियों और एन्टी-लार्वा गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने चिकित्सा अधिकारियों को परिवार कल्याण कार्यक्रम के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन के लिए निर्देश दिए। इसके साथ ही, उन्होंने तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जागरूकता फैलाने और कोटपा एक्ट के तहत चालान काटने के निर्देश भी दिए।
डब्ल्यूएचओ से आए एसएमओ डॉ. अनुरोध तिवारी ने टीकाकरण को लेकर निर्देश दिए कि हेड काउंट सर्वे पूरा किया जाए और कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे। बैठक में यूनिसेफ के विपुल गोस्वामी, जपाइगो के डॉ. जीवराज, और एविडेंस एक्शन के सुनील ने भी अपने सुझाव प्रस्तुत किए।
बीसीएमओ डॉ. कैलाश गहलोत ने बैठक के अंत में जिला स्तरीय अधिकारियों का आभार व्यक्त किया और समस्त विभागीय व राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की सफल क्रियान्विति के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
बैठक के दौरान ‘जीरो डोज इंप्लीमेंटेशन प्लान’ के तहत टीकाकरण प्रेरकों को पहचान स्वरूप ‘मैं हूं टीकाकरण प्रेरक’ विशेष बैज प्रदान करने का विमोचन किया गया। यह योजना खंड पांचू के ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। यूनिसेफ खंड समन्वयक विपुल गोस्वामी ने बताया कि इस योजना के तहत समुदाय के लोग खुद टीकाकरण प्रेरक के रूप में काम करेंगे और उन शिशुओं की पहचान करेंगे, जो टीकाकरण से वंचित रह गए हैं।
टीकाकरण प्रेरक के लिए यह जरूरी है कि वह टीकाकरण के महत्व को समझता हो, समुदाय में प्रभावशाली हो, और टीकाकरण से छूटे हुए शिशुओं की पहचान कर उनके टीकाकरण में सहयोग कर सके।