पर्यूषण महापर्व अभिनव सामायिक दिवस के रूप में मनायाः साध्वी शशिरेखा ने कहा- साधना की मूल कुंजी है सामयिक, हर रोज आधा घंटा करें स्वाध्याय

पर्यूषण महापर्व अभिनव सामायिक दिवस के रूप में मनायाः साध्वी शशिरेखा ने कहा- साधना की मूल कुंजी है सामयिक, हर रोज आधा घंटा करें स्वाध्याय

नोखा टाइम्स न्यूज़,नोखा।। नोखा के जोरावरपुरा में पर्यूषण महापर्व का तीसरा दिन अभिनव समायक के रूप मे बड़े ही उल्लास के साथ साध्वी शशि रेखा आदि ठाणा पांच के पावन सानिध्य में मनाया गया। साध्वी श्री जी ने पहले दिन खाद्य संयम दिवस व दूसरे दिन स्वाध्याय दिवस के बारे में बताया।

साध्वी श्री जी ने बताया कि हर श्रावक को प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा स्वाध्याय करना चाहिए। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के द्वारा निर्देशित कार्यक्रम अभिनव सामायिक दिवस पर साध्वी श्रीकांत प्रभा ने उपस्थित परिषद को अभिनव सामायिक का के बारे में बताया। जिसमें सर्वप्रथम त्रिपदी वंदना उसके बाद जप व प्रेक्षा ध्यान का प्रयोग करवाया गया। सभी भाई बहनों को सामूहिक सामायिक का प्रत्याख्यान करवाया गया।

नोखा के जोरावरपुरा में पर्यूषण महापर्व का तीसरा दिन अभिनव समायक के रूप मे बड़े ही उल्लास के साथ साध्वी शशि रेखा आदि ठाणा पांच के पावन सानिध्य में मनाया गया।

साध्वी श्री ने सामायिक के बारे में बताते हुए कहा कि सामायिक ही हमारी आत्मा है। आत्मा में निवास करने के लिए सामयिक करना चाहिए। सामायिक द्रव्य व भाव दोनों प्रकार की होनी चाहिए। आचार्य तुलसी द्वारा इस उपक्रम को शुरू किया गया। सामायिक एक आवश्यक तत्व की उपलब्धि है। एक मुहूर्त की सघन साधना ही सामायिक है। सामायिक करने से व्यक्ति के 84 लाख योनि के कुछ भव कम हो सकते हैं। हमें 48 मिनट की सामायिक में अपनी आत्मा में निवास कर मन को एकाग्र कर स्वाध्याय के साथ मन की मलीनता को धोया जा सकता है। 18 पापों से रहित सावध्य योग का प्रत्याख्यान दो कारण तीन योग से सामायिक होती है।

जप, ध्यान व समता रखने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अनेक परिवर्तन करते हुए अपनी आत्मा का कल्याण कर सकता है। साध्वी श्री जी ने तेरापंथ धर्म संघ के विशिष्ट श्रावक मिश्रीमल सुराणा व पूनिया श्रावक की सामायिक के उदाहरण को बताते हुए सभी भाई बहनों को प्रतिदिन सामायिक स्वाध्याय करने की प्रेरणा दीम पर्यूषण महापर्व के ये त्रिदिवस जोरावरपुरा तेरापंथ भवन में उल्लास के साथ अध्यात्म साधना के साथ मनाए गए।

तपस्या में अट्ठाई, बेला, तेला आदि तपस्या का क्रम भी निरंतर गतिमान है। नमस्कार महामंत्र का अखंड जप का क्रम जारी है। तेयूप अध्यक्ष सुनील मरोठी और सुरेंद्र कुमार बुच्चा ने सभी के प्रति अविनव सामयिक के बने सहभागी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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