जैन भागवती दीक्षा कार्यक्रम में मुमुक्षु मानवी बनी साध्वीः साध्वी राजीमती बोली- संयम जीवन में रमण करते हुए पर कल्याण करो, जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष है

जैन भागवती दीक्षा कार्यक्रम में मुमुक्षु मानवी बनी साध्वीः साध्वी राजीमती बोली- संयम जीवन में रमण करते हुए पर कल्याण करो, जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष है

नोखा टाइम्स न्यूज़,नोखा।। नोखा के महावीर चौक में आयोजित जैन भागवती दीक्षा कार्यक्रम हुआ। इस दौरान साध्वी राजीमती ने कहा कि संयम जीवन में रमण करते हुए पर कल्याण करो। कार्यक्रम के दौरान विशाल जन समूह जैन भागवती दीक्षा देखने के लिए महावीर चौक में उमड़ पड़ा, जिसमें आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों लोग सम्मिलित हुए।

साध्वी राजीमती ने कहा कि सांसारिक कार्यों से मुक्त होकर संयम की ओर प्रस्थान करना ही दीक्षा है। भोग से योग की ओर जाना, साधनामय जीवन जीना दीक्षा का अभिप्राय है। अंतिम लक्ष्य मोक्ष है; सारे बंधनों को काटकर मोक्ष की ओर बढ़ना ही दीक्षा है। उन्होंने गुरु आचार्य महाश्रमण के चरणों में समर्पित होकर अनुशासित और मर्यादित जीवन जीने का आह्वान किया।

जैन भागवती दीक्षा कार्यक्रम आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों लोग सम्मिलित हुए।

आर्श्ववाणी का उच्चारण करते हुए उन्होंने सभी से सावद्य कार्यों का त्याग करने का अनुरोध किया। केशलुंचन और रजोहरण का दृश्य मनोरम और नयनाभिराम था, जिसमें शांतचित्त हजारों नयन अपलक दीक्षा को निहारते हुए धन्यता का अनुभव कर रहे थे। शासन गौरव साध्वी राजीमती ने आचार्य महाश्रमण को वंदन करते हुए जैन भागवती दीक्षा प्रदान की।

साध्वियों द्वारा सामूहिक गीतिका के माध्यम से आचार्य भिक्षु के चरमोत्सव और मानवी की दीक्षा पर भावना व्यक्त की गई। तेरापंथ महिला मंडल ने अभ्यर्थना गीत सामूहिक संगान कर वातावरण को वैराग्यमय बना दिया। मुमुक्षु मानवी, जो साध्वी वेश पहनकर दीक्षा लेने को आतुर थी, ने अपने हृदय के उद्गार व्यक्त करते हुए जल्दी संसार से मुक्त होने और संयम साधना तथा ध्यान साधना में लगने की बात कही।

मुमुक्षु मानवी आंचलिया को आशीर्वाद देतीं साध्वी राजीमती।

परमार्थिक शिक्षण संस्था की बहन ने मुमुक्षु मानवी आंचलिया का गृहस्थ जीवन परिचय प्रस्तुत किया। समणी कुसुम प्रज्ञा ने संयम पथ का वर्णन करते हुए कहा कि यह मोम के दांतों से लोहे के चने चबाने जैसा है और साधुत्व पालने के लिए सिंह वृत्ति से जीने की प्रेरणा दी।

पिता अरुण और माता ने आज्ञा पत्र प्रस्तुत करते हुए सभी ने खड़े होकर आज्ञा प्रदान की। पारमार्थिक शिक्षण संस्था के संयोजक मोतीलाल जीरावला ने मुमुक्षु मानवी के लिए आज्ञा पत्र का वाचन किया। जोरावरपुरा से शासन साध्वी शशी रेखा का भी सानिध्य रहा।

संचालन करते हुए मुमुक्षु शांता जैन ने दीक्षा के बारे में विस्तार से बताया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष श्री शुभकरण चौरड़िया, मंत्री मनोज घीया, उपाध्यक्ष लाभ चंद छाजेड़, और नगर पालिका उपाध्यक्ष निर्मल भूरा ने इस पावन अवसर प्रदान करने पर आचार्य श्री महाश्रमण के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

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