कथा में रुकमणी विवाह व कृष्ण सुदामा के प्रसंग सुनाए, श्रोता हुवे भाव विभोर

नोखा टाइम्स न्यूज, कक्कू।। स्वरूपसर गांव में चल रही भागवत कथा के सातवें दिन में संत सियाराम महाराज ने अंतिम में भगवान के 16108 विवाह के चरित्र को श्रवण कराया एवं सुदामा एवं श्री कृष्ण की मित्रता का वर्णन सुनाया। उन्होंने कहा कि जीवन मे मित्रता में बड़ा छोटा का भाव एवं ऊंच नीच का भाव नहीं होना चाहिए, मित्रता का भाव एक समान होता है। द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण की तरह जैसा उन्होंने श्री सुदामा के साथ मित्रता का व्यवहार निभाया। अंतिम उपदेश में संत ने बताया कि अन्य ग्रंथ मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाते है और श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य को मरना सिखाती है, जीवन मे जीने के बाद कैसी मृत्यु हो, श्री शुकदेव भगवान ने महाराज परिक्षित को भागवत का उपदेश देकर उन्हें तक्षक सर्प के काटने से पहले ही भागवत ज्ञान के द्वारा मुक्त कर दिए थे। अमावस्या को 51 जोड़ों के द्वारा महायज्ञ होगा यज्ञाचार्य पंडित ब्रह्मदेव शास्त्री चांपासर के द्वारा यज्ञ संपन्न होगा यज्ञ के साथ महाप्रसादी का आयोजन होगा। उसके बाद कथा की पूर्णाहुति होगी और नानी बाई का मायरा भरा जाएगा। कथा में भेराराम सारण, लिखमाराम, जेठाराम, हनुमानाराम, उमेदाराम खाती, रेवंतराम, उदाराम सारण, पूर्व सरपंच खियाराम सियाग, गंगाराम खाती, रेवंतराम लोल, किसनाराम, जेठाराम खोजा, गोवर्धनराम सिंवर आदि अनेकों ग्रामीण मौजूद रहे।

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